Surat Violence अदालत ने 27 लोगों को जमानत दी, कहा “कोई विशेष भूमिका नहीं”

Surat Violence सूरत में गणेश चतुर्थी के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में सूरत जिला अदालत ने 27 आरोपियों को जमानत देने का निर्णय लिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इन आरोपियों की हिंसा में कोई विशेष भूमिका नहीं पाई गई है। इस घटना के बाद शहर में तनाव का माहौल पैदा हो गया था, जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस को मजबूरन कई कदम उठाने पड़े।

यह मामला तब शुरू हुआ जब 9 सितंबर की रात को कुछ नाबालिगों ने वरियावी बाजार इलाके में एक गणेश पंडाल पर पत्थरबाजी की। इस घटना के बाद, सैय्यदपुरा पुलिस स्टेशन के बाहर 200 से 300 लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई, जिसने पुलिस और अन्य लोगों पर भी पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने 27 लोगों को गिरफ्तार किया, जो कथित तौर पर अलग-अलग फ्लैटों के दरवाजे तोड़ने में शामिल थे।

अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि मामले में घायल हुए लोगों को चिकित्सीय सहायता प्रदान की गई है और वे अब खतरे से बाहर हैं। इसके अलावा, अदालत ने यह भी बताया कि सभी गवाह पुलिस के हैं, जिससे सबूतों में छेड़छाड़ की संभावना कम हो जाती है। अदालत ने यह भी कहा कि इन आरोपियों का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, जो उनके पक्ष में एक महत्वपूर्ण बिंदु है।

14वें अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरके मोध ने मामले में जमानत देने से पहले कुछ शर्तें भी लगाईं। इन शर्तों में शामिल है कि आरोपियों को लालगेट पुलिस स्टेशन क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना है, अपने पासपोर्ट को पुलिस के पास जमा करना है, और हर महीने के पहले सप्ताह में लालगेट पुलिस स्टेशन में उपस्थित रहना होगा। इसके साथ ही, उन्हें यह भी निर्देश दिया गया है कि वे गवाहों को धमकाने या सबूतों से छेड़छाड़ करने से दूर रहें।

बचाव पक्ष के वकील ज़फ़र बेलवाला ने अदालत में यह तर्क पेश किया कि घटना के बाद शहर में गणेश विसर्जन और ईद-ए-मिलाद का त्योहार शांति से संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि सभी आरोपी अपने घरों से गिरफ्तार किए गए थे और उस समय मौके पर मौजूद नहीं थे।

इस हिंसा के बाद, स्थानीय समुदाय में सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए पुलिस ने लगातार निगरानी रखी है। पुलिस ने यह भी आश्वासन दिया है कि शहर में किसी भी तरह की अशांति को रोकने के लिए वह सतर्क है। जमानत आदेश का अध्ययन करने के बाद, मामले में आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

यह मामला केवल सूरत की सांप्रदायिक घटनाओं का ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चल रही सुरक्षा और सामाजिक संतुलन की चुनौतियों का भी प्रतीक है। प्रशासन और पुलिस को हर समय समाज में शांति बनाए रखने के लिए चौकसी बरतनी होगी, ताकि ऐसे हिंसक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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