Maharashtra Government Declares Native Cows as ‘Rajyamata-Gomata’ Ahead of Assembly Elections

Mumbai: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए देशी गायों को ‘Rajyamata-Gomata’ की उपाधि देने का निर्णय लिया है। Chief Minister एकनाथ शिंदे की सरकार ने सोमवार को इस फैसले की घोषणा की, जिसमें भारतीय संस्कृति में गायों के महत्व को उजागर किया गया है।

Official Notification and Subsidy Scheme

सरकार द्वारा जारी आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, इसका उद्देश्य वेदिक काल से लेकर आज तक देशी गायों के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को पुनः स्मरण कराना है। इस पहल के तहत, राज्य सरकार ने गोशालाओं में देशी गायों के संरक्षण और पालन-पोषण के लिए एक सब्सिडी योजना की भी घोषणा की है, जिसमें प्रति गाय 50 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी।

Announcement by Deputy CM

Deputy Chief Minister देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले पर बात करते हुए कहा, “देशी गायें हमारे किसानों के लिए एक वरदान हैं। इसीलिए हमने उन्हें ‘राज्यमाता’ का दर्जा देने का फैसला किया है।” इसके अलावा, राज्य सरकार ने गोशालाओं में गायों के पालन-पोषण के लिए financial assistance प्रदान करने की भी योजना बनाई है, जो ऑनलाइन गोसेवा आयोग के माध्यम से संचालित की जाएगी।

Implementation and Reports

इस योजना के तहत, प्रत्येक जिले में एक ‘District Goshala Verification Committee’ गठित की जाएगी जो सब्सिडी योजना के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगी। इसके साथ ही राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति शिंदे समिति की दूसरी और तीसरी report को भी मंजूरी दे दी है, जो मराठा-कुनबी और कुनबी-मराठा प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में है।

Cultural Significance of the Decision

राज्य सरकार के अनुसार, यह निर्णय न केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा है, बल्कि भारतीय समाज में गायों के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व को पुनः स्थापित करने का प्रयास है। आधिकारिक बयान के अनुसार, “गायों का वैदिक काल से ही भारतीय जीवनशैली में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। देशी गाय का दूध, गोबर और गोमूत्र कृषि, आयुर्वेद और पंचगव्य चिकित्सा में अहम भूमिका निभाते हैं। इसी के मद्देनज़र देशी गायों को ‘राज्यमाता गोमाता’ घोषित करने का निर्णय लिया गया है।”

Hindu धर्म में गायों को मातृत्व का प्रतीक माना जाता है, और यह घोषणा राज्य सरकार के इस दृष्टिकोण को और भी मजबूत करती है कि देशी गायों का संरक्षण और सम्मान करना आवश्यक है।

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